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गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है? जानिए इतिहास, महत्व और परंपराएं

गुड फ्राइडे ईसाई धर्म का एक पवित्र और बहुत महत्वपूर्ण दिन है, जिसे पूरी दुनिया में श्रद्धा और गंभीरता के साथ मनाया जाता है। यह दिन हर साल मार्च या अप्रैल में ईस्टर संडे से दो दिन पहले आता है। गुड फ्राइडे उस दिन की याद में मनाया जाता है जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। इस दिन को दुख और शोक का दिन माना जाता है, लेकिन यह विश्वास, प्रेम, और बलिदान की भावना से भी भरा हुआ है।

गुड फ्राइडे का इतिहास

गुड फ्राइडे की कहानी ईसा मसीह के जीवन से गहराई से जुड़ी हुई है। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा प्रेम, करुणा, और क्षमा का संदेश दिया। ईसा ने सामाजिक असमानताओं, पापों और बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों को सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। उनके उपदेशों और कार्यों ने तत्कालीन धार्मिक नेताओं और शासकों को असुविधा में डाल दिया। उन्हें संदेह था कि यीशु लोगों को भड़काने और व्यवस्था को चुनौती देने में सक्षम हो सकते हैं।

उन पर कई झूठे आरोप लगाए गए, और अंत में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। रोमन गवर्नर पोंतियस पिलातुस के सामने यीशु का मुकदमा चला। पिलातुस ने उन्हें निर्दोष माना, लेकिन जनता के दबाव में आकर उन्होंने यीशु को मौत की सजा दे दी। फिर शुक्रवार को उन्हें सूली (क्रॉस) पर चढ़ा दिया गया। आज हम उसी दिन को गुड फ्राइडे के नाम से जानते हैं।

"गुड" फ्राइडे क्यों?

यह एक स्वाभाविक प्रश्न है कि जब यह दिन ईसा मसीह की मृत्यु का प्रतीक है, तो इसे "गुड" यानी अच्छा क्यों कहा जाता है? असल में, गुड फ्राइडे को "गुड" इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन यीशु ने अपने अनुयायियों और मानवता के लिए जो बलिदान दिया, वह मोक्ष और उद्धार का मार्ग बना। ईसाई विश्वास के अनुसार, यीशु ने अपने प्राणों की आहुति देकर सभी मानवों के पापों को धो डाला। उनकी मृत्यु मानव जाति के उद्धार की कुंजी बन गई। इसलिए, यह दिन भले ही दुखद है, लेकिन इसका महत्व बेहद सकारात्मक है — इसी वजह से इसे "गुड फ्राइडे" कहा जाता है।

धार्मिक मान्यताएँ और महत्व

ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे का एक खास आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन ईश्वर के प्रेम, क्षमा, और बलिदान का प्रतीक है। यीशु मसीह ने बिना किसी शिकायत के अपना बलिदान दिया और उन लोगों के लिए भी क्षमा मांगी जिन्होंने उन्हें दुख पहुंचाया। उनका यह दृष्टिकोण पूरी मानवता को शांति, दया, और क्षमा का एक गहरा संदेश देता है।

यह दिन ईसाइयों के लिए आत्ममंथन और आत्मचिंतन का एक खास मौका है। लोग इस दिन अपने जीवन में की गई गलतियों, पापों, और दोषों पर सोचते हैं और ईश्वर से क्षमा की प्रार्थना करते हैं।

गुड फ्राइडे कैसे मनाया जाता है?

गुड फ्राइडे को पूरी गंभीरता और शांति के साथ मनाया जाता है। इस दिन चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं और सेवाएं होती हैं। सुबह से ही लोग चर्च में इकट्ठा होते हैं, बाइबिल का पाठ करते हैं, भजन गाते हैं, और यीशु मसीह के जीवन और उनके बलिदान को याद करते हैं। कुछ चर्चों में 'स्टेशन्स ऑफ़ द क्रॉस' नाम की एक विशेष पूजा होती है, जिसमें यीशु के सूली पर चढ़ने से पहले के 14 महत्वपूर्ण पड़ावों को याद किया जाता है।

कई ईसाई उपवास करते हैं या सिर्फ हल्का भोजन लेते हैं। इस दिन वे किसी भी तरह के जश्न या खुशी से दूर रहते हैं। टीवी, संगीत, या अन्य मनोरंजन से बचते हैं। यह दिन पूरी तरह से ध्यान, प्रार्थना, और आध्यात्मिक अनुशासन में बिताने के लिए होता है।

दुनिया भर में गुड फ्राइडे

गुड फ्राइडे सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, ब्राजील, और अफ्रीका के कई देशों में इस दिन सार्वजनिक छुट्टी होती है। कई जगहों पर बड़े जुलूस निकलते हैं, जहां लोग यीशु मसीह की अंतिम यात्रा को नाटक के रूप में पेश करते हैं।

फिलीपींस में कुछ लोग तो खुद को सूली पर चढ़वाने जैसी पीड़ा भी सहन करते हैं, ताकि वे यीशु के दर्द को महसूस कर सकें। हालांकि चर्च इस तरह की प्रथाओं का समर्थन नहीं करता, लेकिन यह लोगों की गहरी श्रद्धा और आस्था को दर्शाता है।

गुड फ्राइडे का आधुनिक संदर्भ

आज के समय में, जब दुनिया में तनाव, नफरत और हिंसा बढ़ती जा रही है, गुड फ्राइडे हमें यह सिखाता है कि प्रेम, क्षमा और बलिदान ही सच्चे इंसानियत के गुण हैं। यह दिन सिर्फ ईसाइयों के लिए नहीं है, बल्कि पूरे मानव समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है और सच्चा प्रेम कभी खत्म नहीं होता।

गुड फ्राइडे हमें यह सिखाता है कि हमें अपने जीवन में संयम, करुणा और सेवा का महत्व समझना चाहिए। यह एक ऐसा समय है जब हम आत्मनिरीक्षण कर सकते हैं, अपने अंदर झांककर देख सकते हैं कि हम कैसे एक बेहतर इंसान बन सकते हैं।

निष्कर्ष

गुड फ्राइडे सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक गहन आध्यात्मिक अनुभव है जो हमें ईसा मसीह के महान बलिदान की याद दिलाता है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयों और पीड़ा के समय में भी हमें अपने विश्वास और प्रेम को नहीं छोड़ना चाहिए। यीशु मसीह का जीवन और उनका बलिदान आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरित करता है।

इस दिन को मनाने का असली मकसद यही है — आत्मचिंतन करना, ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करना, और प्रेम और शांति के रास्ते पर चलने का संकल्प लेना।